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मेरे शहर का दुःख या सारे देश का …..
बढती आबादी के मद्देनजर शहरों में ठोस कचरा बढा है परन्तु मेरे शहर के सफाई कर्मचारिओं ने एक अजीब पर्यावरण नाशी तरीका ढूंढा है वो ठोस कचरा एकत्र करते है और उसे वहीं पर ही जला देते है |
कुछ बच्चे मेरे मार्गदर्शन में इस वर्ष की विज्ञान प्रतियोगिता के लिए यह परियोजना कर रहे है |
परियोजना शीर्षक:-शहर के दो वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में सार्वजनिक सफाईव्यवस्था का अध्यन |
शहर के दो वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में सफाई कर्मचारिओं के कार्यकलापों को देखने पर पाया गया के वो कचरा एकत्र करते है और उस में आग लगा देते है उस कचरे में आधिक मात्रा में पोलीथीन होती है लोगो को पता नहीं है वो पोलीथीन के निपटान का साधन उस में आग लगा देना मानते है| वो नहीं जानते कि पोलीथीन को यदि उच्च ताप पर बंद भट्टी में जलाया जाये तो बनने वाली सारी गैसे भी जल जाती है और सिर्फ co2 गैस बनती है परन्तु यदि इन सफाई कर्मचारिओं की तरह वातावरण में सुलगा कर छोड़ दिया जाए तो ये दिन भर सुलग सुलग कर बदबूदार धुआं छोड़ती रहेगी | मेरे शहर में दिन भर अजीब सी बदबू फैली रहती है
अब स्पष्ट होता है इस परियोजना पर काम करते हुए काफी दिक्कते आयेंगी क्यूंकि जब हम ने एक सफाई कर्मचारी से पूछा तो उस ने बताया कि सब उपर से आदेश आते है कि कूड़ा जलाये कि हमारे पास साधन नहीं है चलो इस परियोजना में काम करते हुवे कोई न कोई पंगा जरूर होने वाला, तो हम भी तैयार है!
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